पढ़ा करता जो नित गीता - श्री मनोहर लाल जी
Uploaded At: Sept. 30, 2024, 1:18 p.m.

पढ़ा करता जो नित गीता पढ़ा करता जो नित गीता, जन्म उसका सुधर जाता। बड़े से भी बड़ा संकट, घड़ी भर में गुज़र जाता।। अधूरा स्वप्न न रहता, किसी की आँख न रोती, रहा जो रात - दिन खाली, वो हर भंडार भर जाता ।।1।। सरस श्रीकृष्ण की वाणी, सुपारसमणि है कल्याणी। उसे ले साथ जो चलता, वो कंचन-सा निखर जाता ।।2।। करोड़ों लोग माया - मोह, में फँसकर गिरा करते, जो गीता-ज्ञान रखता वो, कभी भी न उधर जाता ।।3।। करे सत्कर्म, योगी-सा, जिए जो उसकी खातिर ही, झुके अंबर, उठे धरती, समय चलता ठहर जाता ।।4।। न लाया कुछ