कृष्ण के मुख से निकली रवानी, शान भारत की है गीता - वाणी । पार्थ के प्रश्न से सबने जानी, ज्ञान, भक्ति और कर्मों की खानी ।। आत्मा ये अजर और अमर है, न ये मरती है न जन्मती है । देह होती है बूढ़ी, पुराणी, फिर करे शोक क्यों नादाँ प्राणी ।।१।। नैव छिन्दन्ति शस्त्राणि एनम्, पावको नैव दहनं करोति । क्लेदयन्ति न चैनं तदापः, शोषयति नैव वायुः कदापि ।।२।। मोह अज्ञान में जो फँसे हैं, पाप के पंक-दल में धँसे हैं । तोड़ने सारे बन्धन जहाँ के, आई पावन धरा पर सुवाणी ।।३।। ये जो काया सुघड़ तूने पाई, सोच कितनी करी