श्री कृष्ण जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिंदूओं का एक प्रमुख त्योहार है। जिसे कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी या श्रीजयंती के रूप में भी जाना जाता है।भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। ईस्वीय सन् 1996 में इसी दिन सान्दीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जयिनी में आचार्य रमेश कुमार पाण्डेय जी, अवन्तिका पीठाधीश्वर स्वामी श्री रंगनाथाचार्य जी महाराज के साथ आध्यात्मिक लोगों ने विश्वगीताप्रतिष्ठानम् की स्थापना की। अतः श्री कृष्ण जन्माष्टमी विश्वगीताप्रतिष्ठानम् का स्थापना दिवस भी है। इस दिन सभी गीता स्वाध्यायी अपनी आय का कुछ प्रतिशत भाग विश्वगीताप्रतिष्ठानम् को समर्पित करते हैं

जन्माष्टमी

कब मनाया जाता है ?

प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता है ?

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म्दिन के रूप में मनाते हैं । ब्रह्मलीन आचार्य रमेश कुमार पाण्डेय जी, प.पू. स्वामी रंगनाथाचार्य जी महाराज तथा कुछ अन्य गीता प्रेमियों ने ईस्वीय सन् 1996 में सान्दीपनि आश्रम उज्जयिनी में विश्वगीताप्रतिष्ठानम् की स्थापना की। स्थापना के 8 माह बाद 30 अप्रैल 1997 को पंजीयन प्रमाण पत्र मिला। अतः श्री कृष्ण जन्माष्टमी विश्वगीताप्रतिष्ठानम् का स्थापना दिवस भी है।

कहां मनाया जाता है ?

विश्व की सर्वाधिक भाषाओं में अनुवादित सर्वमान्य ग्रन्थ श्रीमद्भगवद्गीता के वक्ता भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव पूरे संसार में अत्यन्त उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है ?

विश्वगीताप्रतिष्ठानम् के इस उत्सव को मनाने के लिए कृष्ण के बाल रूप का संदर्शन, भजन, गीत, संगीत, नृत्य आदि की प्रतिस्पर्धाएं तथा गीता स्वाध्याय करके मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर बाल गोपाल का पंचामृत से अभिषेक करके उन्हें नवीन पोशाक भी पहनायी जाती है और इस अवसर पर उन्हें झूला भी झुलाया जाता है।

समर्पण दिवस -

विश्वगीताप्रतिष्ठानम् अपने व्यय के लिए समाज से किसी प्रकार का चन्दा नहीं लेता और न ही सरकार से किसी प्रकार की अनुदान राशि लेता है। जबकि संगठनात्मक कार्यों में प्रतिवर्ष लाखों रुपए का व्यय होता है। इस व्यय की पूर्ति के लिए यह दिन समर्पण दिवस के रूप में मनाया जाता है। कार्यकर्ताओं और समाज के गीता प्रेमियों द्वारा वर्ष भर की आय का कुछ भाग धर्म-कर्म के लिए श्रद्धानुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन अक्षय निधि के रूप में समर्पण किया जाता है जिसके बैंक ब्याज से संगठन का वार्षिक व्यय होता है। अतः सभी के द्वारा अधिक से अधिक धन तथा समय का समर्पण किये जाने की अपेक्षा की जाती है ।