(श्री
हनुमान जयंती
महोत्सव)
प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को
भारतीय
सनातन हिंदू धर्म के उत्सवों की परंपरा में विश्वगीताप्रतिष्ठानम् ने
सात उत्सवों को मनाने का विशेष रूप से
कार्यक्रम निर्धारित किया।नव संवत्सर अभिनंदन समारोह के बाद हनुमान
जयंती दूसरा महोत्सव है।
*
सनातन धर्म के अश्वत्थामा, राजा बलि, वेदव्यास जी, हनुमान जी
महाराज विभीषण,कृपाचार्य जी,भगवान
परशुराम और ऋषि मार्कंडेय जी - इन आठ चिरंजीवियों में से श्री हनुमान
जी जनमानस में सर्वाधिक स्वीकृत और
सुपूजित हैं। अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित श्री हनुमान जी
श्रीमद् भगवत गीता के साक्षात श्रोता हैं। और
गीता में बताए गए सभी सात्विक लक्षणों से युक्त हैं। अतः
विश्वगीताप्रतिष्ठानम् प्रतिवर्ष हनुमान जयंती के
अवसर पर गीता कपिध्वज हनुमत प्रकटोत्सव मनाता है। यह उत्सव देश में
विभिन्न गीता संस्कृत स्वाध्याय मंडलों,
जिलों तथा प्रदेशों में हनुमत मंदिरों में मनाया जाता
है।
ऐसे
मनाएं हनुमान जयंती कार्यक्रम
विवरण -
- हनुमान
मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा का
अभिषेक।( प्रातः 8:00 बजे से)
- श्रीमद्भगवद्गीता के 15 वें अध्याय
का
सामूहिक सस्वर वाचन।
- श्री
हनुमानचालीसा, सुंदरकांड, हनुमत स्तुति का
यथासंभव सामूहिक संगीतमय सस्वर गायन।
- रामायण
काल महाभारत काल और परवर्ती
आधुनिक काल तक हनुमान जी महाराज के द्वारा की गई दिव्य लीलाओं पर
केंद्रित संक्षिप्त वक्तव्य: और
प्रेरक-प्रसंग सूक्ति सुभाषित
- श्री
गीताजी और हनुमानजी की आरती,जयघोष और
प्रसाद वितरण।
* भारतीय सनातन
हिंदू धर्म के उत्सवों की परंपरा में
विश्वगीताप्रतिष्ठानम् ने सात उत्सवों को मनाने का विशेष रूप से
कार्यक्रम निर्धारित किया।नव संवत्सर
अभिनंदन समारोह के बाद हनुमान जयंती दूसरा महोत्सव है।
* सनातन धर्म के
अश्वत्थामा, राजा बलि, वेदव्यास जी, हनुमान
जी महाराज विभीषण,कृपाचार्य जी,भगवान परशुराम और ऋषि मार्कंडेय जी -
इन आठ चिरंजीवियों में से श्री हनुमान
जी जनमानस में सर्वाधिक स्वीकृत और सुपूजित हैं। अर्जुन के रस की
ध्वजा पर विराजित श्री हनुमान जी श्रीमद्
भागवत गीता के साक्षात श्रोता हैं और गीता में बताए गए सभी सात्विक
लक्षणों से युक्त हैं अतः विश्व गीता
प्रतिष्ठानम् प्रतिवर्ष हनुमान जयंती के अवसर पर हनुमत प्रकटोत्सव
मनाता है यह उत्सव देश में विभिन्न गीता
संस्कृत स्वाध्याय मंडलों, जिलों तथा प्रदेशों में हनुमत मंदिरों में
मनाया जाता है।