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गीता संस्कृत स्वाध्याय मंडल

घर-घर गीता का प्रचार हो, सदाचार और सद्विचार हो। पहले सा मेरा भारत ये, जगद्‌गुरु फिर एक बार हो ।। गीता के जनकल्याणकारी सन्देश एवं संस्कृत भाषा के उपयोगी साहित्य को घर-घर तक और जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से विश्वगीताप्रतिष्ठानम् द्वारा गीता संस्कृत स्वाध्याय मण्डल योजना प्रारम्भ की गई है। गीता संस्कृत स्वाध्याय मंडल विश्वगीताप्रतिष्ठानम् के संगठन तंत्र की महत्त्वपूर्ण मैदानी इकाई है, जो प्रतिष्ठान के कार्य विस्तार एवं उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए योगदान प्रदान करती है, साथ ही इससे लोक व्यवहार एवं नवजागरण होता है। स्थानीय सुविधा के अनुसार दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक अथवा मासिक स्वाध्याय मंडलों का संचालन नगर, ग्राम, मोहल्ला और बस्ती स्तर पर किया जाता है। गीता स्वाध्याय में निर्धारित पाठ्यक्रम के आधार पर लगभग डेढ घंटे की अवधि में गीता प्रेमी जन एकत्रित होकर सामान्य रूप से या संगीत के साथ अधिकतम लोगों की प्रस्तुतियाँ होती हैं। इसमें गीता के न्यूनतम 11 या 15 श्लोकों का क्रमश: गायन तथा लघु व्याख्या होती है। यह स्वाध्याय घर-घर जाकर होता है। पहले से ही वर्ष भर होने वाले साप्ताहिक स्वाध्यायों की श्रृंखला निर्धारित कर ली जाती है। गीता स्वाध्याय अत्यन्त रोचक और परम आनन्द देने वाला होता है।

गीता स्वाध्याय मंडल में प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता और सक्रियता सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रमुख दायित्व होते हैं, जिनमें संयोजक तथा स्वाध्याय प्रधान  संलग्न पत्रक के अनुसार अपने स्वाध्याय मंडल का गठन कर उसकी सूचना प्रान्तीय एवं केन्द्रीय  गीता स्वाध्याय प्रधान के पास भेजकर नियमित गीता संस्कृत स्वाध्याय मण्डल का संचालन करते हैं।