स्वाध्याय मण्डल की सदस्यता

वार्षिक -101/-, आजीवन - 501/-

अक्षयनिधि समर्पण विश्वगीताप्रतिष्ठानम् के योगक्षेम के लिए अक्षय निधि कोष की स्थापना की गई है, जिसमें निष्ठापूर्वक समर्पित श्रद्धा निधि ही स्वीकार की जाती है, जो भी गीता प्रेमी स्वाध्याय कार्यक्रमों या सप्त उत्सव में उपस्थित होकर आरती के समय भगवान के श्री चरणों में यथाशक्ति द्रव्य अर्पित करता है, वह निधि सुरक्षित रखी जाती है। प्रतिष्ठान केवल इसका ब्याज ही व्यय कर सकता है। श्री गीता जी के निमित्त बनाए गए अक्षय निधि कोष में यथाशक्ति योगदान कर जीवन सार्थक बनाएँ। इस हेतु विश्वगीताप्रतिष्ठानम् के केन्द्रीय अक्षय निधि खाते में सीधी राशि जमा कर सकते हैं। इसके अन्तर्गत दी जाने वाली छूट धारा 80 सी के तहत करमुक्त है।

आपकी सहभागिता

अपने घर पर गीता स्वाध्याय कराकर, गीताप्रेस से प्रकाशित श्रीमद्भगवद्गीता की पुस्तकों का दान करके, गीता प्रचार हेतु अपना समय दान करके, गीता स्वाध्याय हेतु समाज के विभिन्न वर्गों से सम्पर्क करके, गीता स्वाध्याय शृंखला को सुचारु रूप से संचालन करने हेतु मंदिर, समाज, संस्था, गुरुकुल, गणमान्य जन, गीता अनुरागी जन, बस्ती तथा समीपस्थ ग्राम में गीता चौपाल और गीता स्वाध्याय का आयोजन कराकर, निजी एवं सरकारी शिक्षण संस्थाओं में नियमानुसार गीता श्लोक पाठ, गीता निबन्ध, गीता सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, गीता परिचर्चा, गीता संगोष्ठी और सम्मेलन कराकर, विश्वगीताप्रतिष्ठानम् की शाखाओं में व्यवस्था आदि के विभिन्न प्रकार के दायित्वों से जुड़कर, उपर्युक्त कार्यों में प्रकाशन, प्रचार - प्रसार और व्यवस्थाओं में सामर्थ्य के अनुसार वस्तुओं का सहयोग करके तथा अक्षय निधि खाते में धन दान आदि करके सहभागिता की जा सकती है।