श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रग्रन्थ के साथ विश्वग्रन्थ, संस्कृत को राष्ट्रभाषा, गौ माता को राष्ट्रीय कामधेनु तथा आधुनिक शिक्षा पद्धति में परिवर्तन कर प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति को स्थापित कराना।
आकाशवाणी, दूरदर्शन तथा प्रसार तन्त्रों के माध्यम से गीता का संगीतमय नियमित प्रसारण कर श्रीमद्भगवद्गीता के जनकल्याणकारी संदेश तथा अध्यात्म को जन जन तक पहुँचाना और सम्पूर्ण विश्व को विश्वबन्धुत्व एवं भाईचारे का पाठ सिखाना।
समस्त भाषाओं एवं राष्ट्रीय एकता की जननी वैज्ञानिक भाषा संस्कृत तथा उसके साहित्य को जनसाधारण से जोड़ना।
वेद, उपनिषद्, दर्शन, ज्योतिष, आयुर्वेद, संगीत एवं स्वाध्याय के वैज्ञानिक पक्षों को उजागर करने के लिए शोध करना।
श्रीमद्भगवद्गीता के शिक्षाप्रद उपयोगी अंशों का विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में समावेश कर वहाँ गीता स्वाध्याय केन्द्रों की स्थापना कराना।
श्रीमद्भगवद्गीता के गौरव के अनुरूप सभी संस्थाओं, कार्यालयों, न्यायालयों आदि में गीता की सूक्तियों का लेखन एवं राष्ट्रीय तथा राजकीय सम्मानों में टीका सहित गीता ग्रन्थ भेंट करना।
यथा संभव स्थानीय प्रशासन के विभिन्न प्रकार के सहयोग से गीता सप्ताह का आयोजन करवाना तथा व्यास पुरस्कार दिलाना।
जीवन में एकाग्रता, सुख, शान्ति, समन्वय, पारिवारिक समृद्धि तथा नष्ट हो रही शास्त्रीय ज्ञान की प्राचीन स्वाध्याय परम्परा को पुनः जागृत करना।
देश-विदेश में संचालित गीता मानस प्रचार समितियों, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक तथा आध्यात्मिक संस्थानों को एक मंच पर लाना।
घर, परिवार, ग्राम, नगर, तहसील, जिला, संभाग, राज्य तथा देश के साथ सम्पूर्ण विश्व में गीता संस्कृत स्वाध्याय मण्डलों की स्थापना करना।
संस्कृत, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष एवं संगीत की शिक्षा के लिए गीता गुरुकुल, गीता महाविद्यालय तथा गीता विश्वविद्यालय की स्थापना करना और गीता ज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु आवासीय एवं गैर आवासीय प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन करना
गीता ज्ञान-विज्ञान तथा स्वाध्याय को बढ़ावा देने हेतु समस्त नागरिकों के लिए सभी स्तरों पर गीता-संस्कृत परीक्षाओं का संचालन करना।
गीता स्वाध्याय मंडलों के माध्यम से जन कल्याणकारी सेवा को बढ़ावा देने के लिए सेवा प्रकल्पों का संचालन करना।
गीताविषयक शोध आलेख और पुस्तक प्रकाशन, विज्ञान, प्रबंधन, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में परामर्श देना।
आरोग्य, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, गौसंरक्षण एवं संवर्धन, पर्यावरण संरक्षण इत्यादि समसामयिक क्षेत्रों में प्रशिक्षण एवं सेवा कार्य चलाना।
मानव समाज को ऊँच-नीच, छुआछूत, असमानता आदि के भेद से मुक्त कर कर समानता, संयम, समर्पण और कर्त्तव्य पथ के धर्मानुसार "विश्वबन्धुत्व" का पाठ पढ़ाना।